सक्सेस केवल अच्छी
नॉलेज रखने या स्किल्स पाने में नहीं है। आप तब तक सक्सेस नहीं पा सकते
जब तक आपका खुद को एक्सप्रेस करने का तरीका सही नहीं है।
प्रोफेशनल
लाइफ हो या पर्सनल लाइफ इंपॉर्टेंट यह नहीं है कि आप क्या कहते हैं, बल्कि
यह ज्यादा इंपॉर्टेंट है कि आप उसे किस तरह कहते हैं? हमेशा मुस्कराते
रहें। जो लोग अपने बारे में अच्छा सोचते हैं, उनकी बॉडी लैंग्वेज अक्सर बेहतर होती है।
सार्वजनिक जीवन जीने वालों के लिए ही नहीं बल्कि दफ्तर में काम करने वालों के लिए भी 'एटिट्यूड' बड़ी काम की चीज है। इसलिए जब भी आप किसी से बात करें तो बॉडी लैंग्वेज पर जरूर ध्यान दें।
कुछ खास बातें :
चाहे बॉस हो या कलीग हमेशा आई कॉन्टैक्ट रखकर बातें करें।
खुली हथेलियां गंभीरता और ग्राह्यता को दर्शाती हैं।
करीब रहकर बात करना यानी रुचि लेना और दूर होने का मतलब है बातचीत में ध्यान नहीं होना।
आराम मुद्रा का मतलब है कि आप संवाद के लिए तैयार हैं।
ऑफिस में हाथ बांधकर खड़ा नहीं होना चाहिए, यह विरोध का संकेत है।
हाथ हिलाकर बातचीत करने से समझा जाता है कि आप बड़ी रुचि से बातें कर रहे हैं।
मुंह के ऊपर या चेहरे पर हाथ रखना नेगेटिव बॉडी लैंग्वेज का हिस्सा है।
ऑफिस में कभी भी किसी भी स्तर के व्यक्ति से ऊंची आवाज और तेज स्पीड में बात नहीं करनी चाहिए। इससे आप अपनी पर्सनालिटी की सीरियसनेस खो देंगे।
No comments:
Post a Comment