किसी शायर ने यूँ ही नहीं कहा है, 'शहसवार ही गिरते हैं मैदान-ए-जंग में, वे तिफ्ल क्या गिरेंगे जो घुटनों के बल चलें।' मतलब
ये है कि जिंदगी कोई भी क्षेत्र हो, हर कोशिश के दो ही पहलू होते हैं,
सक्सेस या फेलर। सक्सेस निश्चित रूप से हर किसी को खुशी देती है, हौसला
बढ़ाती है, जबकि विफलता हमारा मोरल डाउन कर देती है।
लेकिन तारीफ तो तब है, जबकि हम खुद को मिली नाकामी को ही अपनी कामयाबी की कुंजी मान लें। यह कठिन तो जरूर है, पर असंभव हरगिज नहीं। कैसे?
सेल्फ एनालिसिस करें
अगर आप किसी प्रयास/प्रतियोगिता में विफल रह जाते हैं। बावजूद इसके कि आपने भरपूर मेहनत की, कोई कसर नहीं छोड़ी। तो ऐसे में निराश होने की कोई जरूरत नहीं है। आशय यह कि नाकामी को खुद पर हावी न होने दें बल्कि यह देखने-समझने की कोशिश करें कि आपके प्रयासों में आखिर कमी कहाँ रह गई? ऐसा करने से आप कोशिश के दौरान हुई खामी को निश्चित रूप से खोज निकालेंगे और अगली बार उससे बचने का प्रयास करेंगे।
थिंक पॉजिटिव
थिंक पॉजिटिव ऑलवेज, यह एक अहम सूत्र है प्रगति का। यानी हमेशा सकारात्मक सोचिए, इससे आत्मबल मजबूत होता है। जब आप ऐसा करेंगे तो यकीन मानिए, आपको प्रत्येक नकारात्मक स्थिति में भी सफलता की एक नई राह निकलती महसूस होगी। जीवन में कामयाबी के लिए आपकी सोच का सकारात्मक होना बहुत जरूरी है।
नकारात्मक सोच यानी निगेटिव थिंकिंग हमें हर पल सफलता से दूर करती जाती है, यह निराशा के दलदल की ओर ले जाती है कि हम अमुक कार्य नहीं कर सकते अथवा यह हमसे नहीं हो सकता या फिर यह हमारी किस्मत में नहीं है, वगैरह।
लक्ष्य का निर्धारण
जब हम किसी चीज को पाने की उम्मीद लेकर प्रयास करते हैं, वही हमारा लक्ष्य है। हमें उस पर अपनी नजर केंद्रित रखनी है। यानी पहले लक्ष्य का निर्धारण करना और फिर उस पर खुद को एकाग्र करना बहुत जरूरी है। मसलन, हमें क्या बनना है, हमारी कोशिश किस चीज को पाने की है, यह तय करना महत्वपूर्ण है।
इससे आप खुद के द्वारा किए गए प्रयासों की समय-समय पर समीक्षा भी कर सकेंगे कि आपके कदम सही दिशा में हैं अथवा नहीं, क्या इसमें सुधार करना है या नहीं, अब आगे क्या करना चाहिए जैसे अहम विचारणीय बिंदुओं से आप रू-ब-रू होंगे। लेकिन यह सब तब होगा जब आपने अपना लक्ष्य पहले से ही निर्धारित कर रखा होगा।
लेकिन तारीफ तो तब है, जबकि हम खुद को मिली नाकामी को ही अपनी कामयाबी की कुंजी मान लें। यह कठिन तो जरूर है, पर असंभव हरगिज नहीं। कैसे?
सेल्फ एनालिसिस करें
अगर आप किसी प्रयास/प्रतियोगिता में विफल रह जाते हैं। बावजूद इसके कि आपने भरपूर मेहनत की, कोई कसर नहीं छोड़ी। तो ऐसे में निराश होने की कोई जरूरत नहीं है। आशय यह कि नाकामी को खुद पर हावी न होने दें बल्कि यह देखने-समझने की कोशिश करें कि आपके प्रयासों में आखिर कमी कहाँ रह गई? ऐसा करने से आप कोशिश के दौरान हुई खामी को निश्चित रूप से खोज निकालेंगे और अगली बार उससे बचने का प्रयास करेंगे।
थिंक पॉजिटिव
थिंक पॉजिटिव ऑलवेज, यह एक अहम सूत्र है प्रगति का। यानी हमेशा सकारात्मक सोचिए, इससे आत्मबल मजबूत होता है। जब आप ऐसा करेंगे तो यकीन मानिए, आपको प्रत्येक नकारात्मक स्थिति में भी सफलता की एक नई राह निकलती महसूस होगी। जीवन में कामयाबी के लिए आपकी सोच का सकारात्मक होना बहुत जरूरी है।
नकारात्मक सोच यानी निगेटिव थिंकिंग हमें हर पल सफलता से दूर करती जाती है, यह निराशा के दलदल की ओर ले जाती है कि हम अमुक कार्य नहीं कर सकते अथवा यह हमसे नहीं हो सकता या फिर यह हमारी किस्मत में नहीं है, वगैरह।
लक्ष्य का निर्धारण
जब हम किसी चीज को पाने की उम्मीद लेकर प्रयास करते हैं, वही हमारा लक्ष्य है। हमें उस पर अपनी नजर केंद्रित रखनी है। यानी पहले लक्ष्य का निर्धारण करना और फिर उस पर खुद को एकाग्र करना बहुत जरूरी है। मसलन, हमें क्या बनना है, हमारी कोशिश किस चीज को पाने की है, यह तय करना महत्वपूर्ण है।
इससे आप खुद के द्वारा किए गए प्रयासों की समय-समय पर समीक्षा भी कर सकेंगे कि आपके कदम सही दिशा में हैं अथवा नहीं, क्या इसमें सुधार करना है या नहीं, अब आगे क्या करना चाहिए जैसे अहम विचारणीय बिंदुओं से आप रू-ब-रू होंगे। लेकिन यह सब तब होगा जब आपने अपना लक्ष्य पहले से ही निर्धारित कर रखा होगा।
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