किसी भी कार्य की सफलता उस
पर की गई मेहनत पर निर्भर करती है। आज युवा भी ऐसे क्षेत्रों में करियर
बनाना चाहता है जहां भरपूर पैसा हो, ग्लैमर हो, प्रसिद्धि हो। पर उसे यह
ध्यान रखना चाहिए कि सफलता कोई पेड़ पर लगने वाला फल नहीं है जिसे पेड़ पर
चढ़ गए और तोड़ लिया।
युवाओं को सबसे पहले जिन क्षेत्र में करियर बनाना उनमें रोजगार के अवसरों की तलाश करनी चाहिए। आजकल ऐसे कई युवाओं को देखते हैं जो पढ़कर विषय की डिग्रियां तो हासिल कर लेते हैं, लेकिन विषय के अनुरूप रोजगार के अवसरों की तलाश नहीं करते।
इसका अंजाम यह होता है कि वे बेरोजगारी से अवसादग्रस्त हो जाते हैं और जल्द ही निराश हो जाते हैं। वे इसे अपने जीवन की सबसे बड़ी हार मानकर आत्महत्या की ओर प्रवृत्त हो जाते हैं। उन्हें यह समझना चाहिए कि जीवन भगवान का दिया हुआ सबसे अमूल्य उपहार है। युवाओं को जीवन से हार मानकर नहीं बैठना चाहिए। जब एक रास्ता बंद होता है तो दूसरे हजारों रास्ते खुल जाते हैं। सफलता और असफलता तो जीवन रूपी रेल के स्टेशन हैं।
मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि यदि युवा स्वयं की अभिरूचि को रखते हुए रचनात्मक कार्यों में रुचि लें तो आत्महत्या जैसे विचार मन में नहीं आएंगे। इसलिए जरूरी है कि नकारात्मक चिंतन से बचने के लिए अच्छा साहित्य पढ़ें। अपने सकारात्मक गुणों पहचान कर उन्हें विकसित करें।
जिस प्रकार गुरु द्रोण की परीक्षा में अर्जुन को सिर्फ अपना लक्ष्य मछली की आंख नजर आ रही थी, उसी प्रकार युवाओं को सिर्फ अपना लक्ष्य नजर आना चाहिए। जब एक रास्ता मिल जाए तो उस पर मेहनत शुरू कर देनी चाहिए।
अगर ईमानदारी, कड़ी मेहनत, लगन से युवा उस दिशा में आगे बढ़ें तो उन्हें अपनी मंजिल तो मिलनी ही है। सफलता का कोई शॉर्टकर्ट रास्ता नहीं होता। सफलता की कुंजी सिर्फ कड़ी मेहनत होती है।
याद रखें-
- असफलता मिलने पर उसे जीवन पर हावी न होने दें।
- सकारात्मता बढ़ाने के लिए अच्छी मनोरंजक व ज्ञानवर्धक पुस्तकें पढ़ें।
- ऐसे लोगों से मिले जिन्होंने अपने क्षेत्र में सफलता हासिल की है।
- हमेशा अपने को व्यस्त रखें क्योंकि खाली दिमान शैतान का घर होता है।
- हल्का संगीत सुने, इससे नकारात्मक विचार मन में नहीं आएंगे।
- परिवार के साथ समय व्यतीत करें क्योंकि इससे आपको मानसिक संबल मिलता है।
- आसपास की प्रकृति को निहारें, पक्षियों का चहचहाना सुनें, क्योंकि प्रकृति जीवन से संघर्ष की शिक्षा देती।
युवाओं को सबसे पहले जिन क्षेत्र में करियर बनाना उनमें रोजगार के अवसरों की तलाश करनी चाहिए। आजकल ऐसे कई युवाओं को देखते हैं जो पढ़कर विषय की डिग्रियां तो हासिल कर लेते हैं, लेकिन विषय के अनुरूप रोजगार के अवसरों की तलाश नहीं करते।
इसका अंजाम यह होता है कि वे बेरोजगारी से अवसादग्रस्त हो जाते हैं और जल्द ही निराश हो जाते हैं। वे इसे अपने जीवन की सबसे बड़ी हार मानकर आत्महत्या की ओर प्रवृत्त हो जाते हैं। उन्हें यह समझना चाहिए कि जीवन भगवान का दिया हुआ सबसे अमूल्य उपहार है। युवाओं को जीवन से हार मानकर नहीं बैठना चाहिए। जब एक रास्ता बंद होता है तो दूसरे हजारों रास्ते खुल जाते हैं। सफलता और असफलता तो जीवन रूपी रेल के स्टेशन हैं।
मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि यदि युवा स्वयं की अभिरूचि को रखते हुए रचनात्मक कार्यों में रुचि लें तो आत्महत्या जैसे विचार मन में नहीं आएंगे। इसलिए जरूरी है कि नकारात्मक चिंतन से बचने के लिए अच्छा साहित्य पढ़ें। अपने सकारात्मक गुणों पहचान कर उन्हें विकसित करें।
जिस प्रकार गुरु द्रोण की परीक्षा में अर्जुन को सिर्फ अपना लक्ष्य मछली की आंख नजर आ रही थी, उसी प्रकार युवाओं को सिर्फ अपना लक्ष्य नजर आना चाहिए। जब एक रास्ता मिल जाए तो उस पर मेहनत शुरू कर देनी चाहिए।
अगर ईमानदारी, कड़ी मेहनत, लगन से युवा उस दिशा में आगे बढ़ें तो उन्हें अपनी मंजिल तो मिलनी ही है। सफलता का कोई शॉर्टकर्ट रास्ता नहीं होता। सफलता की कुंजी सिर्फ कड़ी मेहनत होती है।
याद रखें-
- असफलता मिलने पर उसे जीवन पर हावी न होने दें।
- सकारात्मता बढ़ाने के लिए अच्छी मनोरंजक व ज्ञानवर्धक पुस्तकें पढ़ें।
- ऐसे लोगों से मिले जिन्होंने अपने क्षेत्र में सफलता हासिल की है।
- हमेशा अपने को व्यस्त रखें क्योंकि खाली दिमान शैतान का घर होता है।
- हल्का संगीत सुने, इससे नकारात्मक विचार मन में नहीं आएंगे।
- परिवार के साथ समय व्यतीत करें क्योंकि इससे आपको मानसिक संबल मिलता है।
- आसपास की प्रकृति को निहारें, पक्षियों का चहचहाना सुनें, क्योंकि प्रकृति जीवन से संघर्ष की शिक्षा देती।
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