केंद्र सरकार देश का और विभिन्न राज्य सरकारें अपने-अपने राज्यों के बजट पेश कर चुकी
हैं। अधिकांश लोग अपने-अपने नजरिए से इसकी तारीफ-आलोचना करते हैं। इसी बीच
सवाल उठता है कि क्या आपने खुद का बजट बनाया है? कहने की जरूरत नहीं कि इस
सवाल पर कैसा रिस्पॉन्स मिलेगा? अधिकांश लोगों का कहना होता है कि देखो
मैंने सब कुछ दिमाग में स्टोर कर रखा है-इनकम, खर्च, सब कुछ।
फाइनेंशियल हालात का जायजा
फाइनेंशियल प्लानर का कहना है कि लोग अपना बजट बनाने को लेकर जागरूक नहीं होते हैं। क्या उन्हें इसकी जरूरत महसूस होती है? फाइनैंशल एडवाइजर्स के पास आने वाले कितने लोग अपने बजट के बारे में सवाल किए जाने पर परेशान नहीं होते? जिन लोगों ने अपना बजट बनाने को लेकर शुरुआत नहीं की है, ज्यादातर फाइनैंशल एडवाइजर उन्हें सबसे पहले अपनी फाइनेंशियल हालत का जायजा लेने की सलाह देते हैं। दरअसल, यह फाइनेंशियल प्लान बनाने की दिशा में पहला कदम है।
युवा लेते है हल्के में
जहां तक घरेलू बजटिंग का मामला है, तो आमतौर पर युवा इसे काफी हल्के में लेते हैं। हालांकि, जो लोग रिटायरमेंट के नजदीक हैं या फिर रिटायर्ड हैं, वे इसे काफी गंभीरता से लेते हैं। उन्होंने यह भी साफ किया कि उनके क्लाइंट शायद अपनी सही तस्वीर नहीं बता पाते होंगे, क्योंकि ये लोग पहले ही फाइनेंशियल प्लान के लिए अपनी ओर से मन बना चुके होते हैं।
सरप्लस और खर्च की साफ तस्वीर
फाइनेंशियल प्लानर क्लाइंट्स को इनकम, खर्च, फाइनेंशियल लाएबिलिटी और ऐसेट के बारे में सवाल करते हैं। दरअसल, यह फाइनेंशियल प्लान बनाने की दिशा में पहला कदम होता है। हमें बजट का खाका इसलिए तैयार करना पड़ता है कि हम किसी शख्स की वित्तीय हालत जानना चाहते हैं।
इससे भी ज्यादा अहम यह है कि हम लोगों के सरप्लस कैश पर साफ तस्वीर चाहते हैं। इससे हमें उनका फाइनेंशियल प्लान बनाने में मदद मिलती है। मतलब यह है कि अगर आपके पास सरप्लस पैसा नहीं है तो आपको भविष्य की प्लानिंग नहीं कर सकते हैं। इसलिए, फाइनेंशियल प्लानर आपके खर्च और लाएबिलिटीज पर नजर डालता है। इसके बाद ही वह सलाह दे सकता है कि आप इसमें कटौती कर सकते या नहीं।
जागरूकता है मकसद
बजट लक्ष्य पूरा करने को लेकर बिल्कुल दबाव में न आए। ऐसा नहीं है कि अगर एक बार आपने हर महीने खर्चों के लिए खास रकम का प्रावधान कर दिया तो आपको किसी भी कीमत पर इस पर टिकना है। बजट बनाने पर पता चलता है कि खर्च और इनकम के मामले में आप कहां खड़े हैं?
फाइनेंशियल हालात का जायजा
फाइनेंशियल प्लानर का कहना है कि लोग अपना बजट बनाने को लेकर जागरूक नहीं होते हैं। क्या उन्हें इसकी जरूरत महसूस होती है? फाइनैंशल एडवाइजर्स के पास आने वाले कितने लोग अपने बजट के बारे में सवाल किए जाने पर परेशान नहीं होते? जिन लोगों ने अपना बजट बनाने को लेकर शुरुआत नहीं की है, ज्यादातर फाइनैंशल एडवाइजर उन्हें सबसे पहले अपनी फाइनेंशियल हालत का जायजा लेने की सलाह देते हैं। दरअसल, यह फाइनेंशियल प्लान बनाने की दिशा में पहला कदम है।
युवा लेते है हल्के में
जहां तक घरेलू बजटिंग का मामला है, तो आमतौर पर युवा इसे काफी हल्के में लेते हैं। हालांकि, जो लोग रिटायरमेंट के नजदीक हैं या फिर रिटायर्ड हैं, वे इसे काफी गंभीरता से लेते हैं। उन्होंने यह भी साफ किया कि उनके क्लाइंट शायद अपनी सही तस्वीर नहीं बता पाते होंगे, क्योंकि ये लोग पहले ही फाइनेंशियल प्लान के लिए अपनी ओर से मन बना चुके होते हैं।
सरप्लस और खर्च की साफ तस्वीर
फाइनेंशियल प्लानर क्लाइंट्स को इनकम, खर्च, फाइनेंशियल लाएबिलिटी और ऐसेट के बारे में सवाल करते हैं। दरअसल, यह फाइनेंशियल प्लान बनाने की दिशा में पहला कदम होता है। हमें बजट का खाका इसलिए तैयार करना पड़ता है कि हम किसी शख्स की वित्तीय हालत जानना चाहते हैं।
इससे भी ज्यादा अहम यह है कि हम लोगों के सरप्लस कैश पर साफ तस्वीर चाहते हैं। इससे हमें उनका फाइनेंशियल प्लान बनाने में मदद मिलती है। मतलब यह है कि अगर आपके पास सरप्लस पैसा नहीं है तो आपको भविष्य की प्लानिंग नहीं कर सकते हैं। इसलिए, फाइनेंशियल प्लानर आपके खर्च और लाएबिलिटीज पर नजर डालता है। इसके बाद ही वह सलाह दे सकता है कि आप इसमें कटौती कर सकते या नहीं।
जागरूकता है मकसद
बजट लक्ष्य पूरा करने को लेकर बिल्कुल दबाव में न आए। ऐसा नहीं है कि अगर एक बार आपने हर महीने खर्चों के लिए खास रकम का प्रावधान कर दिया तो आपको किसी भी कीमत पर इस पर टिकना है। बजट बनाने पर पता चलता है कि खर्च और इनकम के मामले में आप कहां खड़े हैं?
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